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Sunday, August 19, 2012

स्वस्थ दांतों के लिए

संपूर्ण स्वा‍स्थ्य के लिए आवश्यक हैं ‘स्वस्थ दांत’। दांत ना सिर्फ हमारे स्वा‍स्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे लुक को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए दांतों की समस्याओं को नज़रअंदाज़ ना करें। निश्चित समयांतराल पर (डेंटिस्ट)दंत चिकित्सक से मिलें।

दांतों की स्वच्छता का मतलब और तरीका हर किसी के लिए अलग होता है। हममें से अधिकतर लोग ब्रशिंग की कला बचपन में ही सीखते हैं और हैरानी की बात है कि ज्यादातर लोग ठीक प्रकार से ब्रश नहीं करते। चिकित्सकों की राय है कि प्रतिदिन ब्रश करने के बाद जीभ ज़रूर साफ करें।

गाजि़याबाद के संतोष डेंटल कालेज की प्रोफेसर डाक्टर बिनीता का कहना है कि दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए और ब्रश करने के बाद नमक पानी से कुल्ला करना चाहिए या माउथवाश करना चाहिए।

आसान उपचार अर्थराइटिस के

सौंठ, शलक्की, गगलू और गुडूची से अर्थराइटिस की चिकित्सा कैसे करें।

सौंठ, शलक्की, गगलू और गुडूची का मिश्रण तैयार करें। यह भी अर्थराइटिस की चिकित्सा का एक अच्छा समाधान है।

डायबिटीज़ के आसान उपचार

प्याज़ खायें और डायबिटीज़ भगायें।

प्याज़ का उपभोग करना डायबिटीज़ के मरीज़ के लिए अच्छा है।

खाने में अदरक की मात्रा बढ़ा कर भी डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है।

डायबिटीज़ के लिए एक प्राकृतिक हर्बल उपचार है लहसुन। इससे शरीर में मौजूद कालेस्ट्राल का विघटन होता है।

अस्थमा चिकित्सा घरेलू उपचार से

अस्थमा की चिकित्सा के लिए नीबू।

प्रतिदिन नीबू पानी पीयें।

अदरक से अस्थमा की चिकित्सा।

एक छोटे चम्मच से ताज़ा अदरक का जूस लें और इसे सुखा लें और स्वाद के लिए इसे मेथी के काढ़े और शहद के साथ लें। इस मिश्रण को एक बार सुबह और एक बार शाम को लें।

एलर्जी से बचने के कुछ घरेलू नुस्खे

मौसम के साथ ही एलर्जी होना भी आम है, एलर्जी से बचने के कुछ घरेलू नुस्खे जानें:

विटामिन सी से एलर्जी का इलाज।

जितना हो सके विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करें।

सीरके से एलर्जी का इलाज।

एक गिलास पानी में थोड़ा सीरका मिलाकर इसे पीयें।

सूखी खाँसी में घरेलू नुस्खे

ठंड के कहर ने जहां लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल बना दिया है वहीं सर्दी जुकाम-खांसी जैसी बीमारियां भी बढ़ गयी है। ऐसे में आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स का मज़ा आपके लिए सज़ा बन सकता है। वैसे तो सूखी खांसी किसी भी मौसम में हो सकती है, लेकिन ठंड में इसके होने की संभावना अधिक रहती है।

कई बार सूखी खांसी ठीक होने में हफ्तों लग जाते हैं। दवाओं का प्रभाव भी अलग-अलग लोगों पर अलग तरीके से होता है। खांसी होने पर आप कुछ सामान्य घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं:

खांसी होने पर लौंग चबाने से भी राहत मिलती है। खांसी के दौरे पड़ने पर 2 से 3 लौंग को थोड़े से तेल में भुनकर चबायें।

क्षय रोग से बचाव के घरेलू

क्षय रोग से बचने के लिए हालांकि सुरक्षा और सावधानी ही सबसे अच्छा उपाय है, लेकिन इससे बचाव के लिए कुछ घरेलू नुस्खें भी अपनाये जा सकते हैं। क्षय रोग से बचाव के ऐसे ही कुछ नुस्खे हैं।

सिरके से क्षय रोग का इलाज ।

दो छोटे चम्मच से सिरका लें और इसे शहद और 120 मिलीलीटर गाज़र के जूस में मिला लें, यह दवाई की तरह काम करेगा।

लहसुन के नियमित सेवन के लाभ।

लहसुन को एंटीबायोटिक माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से टीबी के कीटाणु नष्टट हो जाते हैं।

मार्निंग सिकनेस के इलाज के घरेलू नुस्खे



  • अदरक की चाय से मार्निंग सिकनेस का इलाज। – प्रतिदिन सुबह अदरक की चाय लेने से मार्निग सिकनेस ठीक होती है।
  • एपल सिडर विनेगर से मार्निंग सिकनेस का इलाज। – एपल सिडर विनेगर को शहद के साथ लेने पर मार्निंग सिकनेस का इलाज आसानी से हो सकता है।
  • मार्निंग सिकनेस के इलाज के लिए नीबू का जूस। – पानी ,नीबू के रस और पुदीने का मिश्रण लेने से मार्निंग सिकनेस का इलाज मुमकिन है।

अगर एक ही आफिस में हों कपल

अगर आप और आपका पार्टनर दोनों एक ही ऑफिस में काम करते है, तो ऐसे में आपको एक दूसरे के साथ ऑफिस में बहुत संभल कर व्‍यवहार करना पड़ता हैं। ऐसे में ये समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि उसके साथ ऑफिस में कैसा व्यवहारकिया जाए। ऑफिस में ऐसा व्‍यवहार करें जिससे आप और आपके साथी को लोगों के सामने शर्मिदा न होना पड़े। 

आइए जानते हैं, आफिस के रोमांस टिप्स—

•    अगर आप और आपका पार्टनर एक ही ऑफिस में है या ऑफिस में आपको किसी से प्यार हो गया है तो ऎसे में जरूरी है कि आप इस बात का ध्यान रखें कि आपके रिशते की बात किसी तीसरे को पता न चलें।

•    अगर आप चाहते हैं कि आपके संबंधों के बारे में कोई बाते न बनाए, तो ऎसे में आप बहुत संभलकर लोगों से गपशप करें।


•    ऑफिस में आप आपने काम में व्‍यस्‍त होते है ऐसे में एक-दूसरे को टाइम देना काफी मुशकिल होता है। और यह जरूरी भी नहीं कि आप हर समय अपने साथी के पास ही बैठे रहें। बल्कि अन्य साथियों को भी समय दें और अपने काम पर भी उतना ही ध्‍यान दें।

•    आप दोनों ऑफिस में एक साथ रहने के बजाए ग्रुप में रहें और सबके साथ अच्‍छे से व्‍यवहार करें।


•    ऑफिस में सबके सामने कोई ऎसी बात करने से बचें जिससे आप या आपका पार्टनर बाद में मजाक का पात्र बन जाए, और लोग आपस में आपका मजाक बनाए।

•    आप ऑफिस में अपनी प्यार भरी बातों को शेयर के लिए किसी तीसरे को मिडिएटर न बनाएं, अपने पार्टनर से सीधे बात करें, किसी तीसरे व्यक्ति से अपनी बातें शेयर न करें।


•    ऑफिस के दौरान कोई एक समय और जगह निश्चित कर लें जहां आप दोनों रोजाना मिल पाएं और इससे दूसरों को भी कोई परेशानी न हो। जैसे ऑफिस के बाद का समय, सुबह का समय या ऑफिस से थोड़ी दूरी पर कोई जगह।

•    ऑफिस में दोनों एक-दूसरे के सम्मान का ख्याल रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके अपने साथी से ऑफिस में कैसे संबंध हैं और आपके साथी का पद क्या है। यानी निजी और रोमांटिक बातचीत के लिए ऑफिस के फोन का प्रयोग न करें और न ही ऑफिस में चैट करें।


•    ऑफिस के दौरान अपने पार्टनर के साथ किसी भी तरह का शारीरिक इन्वॉल्वमेंट न रखें। इससे ऑफिस में आपकी और आपके पार्टनर की छवि और लोगों के सामने खराब होगी।

•    अपनी और अपने पार्टनर की निजी बातें ऑफिस के किसी तीसरे व्यक्ति से शेयर न करें, ऐसा करने से आप बेवजह चर्चा का विषय बन सकते हैं, और आपकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।

सेक्सुअल रिस्पांस साइकिल


सेक्सुअल प्रतिक्रिया चक्र में शरीर में होने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों की पूरी श्रृंखला शामिल है। ये बदलाव तब होते हैं जब कोई व्यक्ति संभोग और हस्तमैथुन के जरिए सेक्सुअली उत्तेजित होता है।

सेक्सुअल प्रतिक्रिया चक्र के प्रति जागरूकता

उत्तेजना के विभिन्न चरणों में शरीर किस तरह प्रतिक्रिया करता है इसके प्रति जागरूक रहने से आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि आपके साथी की चाहत क्या है, जिसे पहचानकर अनुभव को अधिक गहरा और आपसी सम्बन्ध को अधिक मज़बूत बनाया जा सकता है। इससे आपको कुछ सेक्सुअल समस्याएं सुलझाने में भी मदद  मिल सकती है जैसे उत्ते़जना के शुरूआती दौर में ही संभोग की शुरूआत और संभोगपूर्व गतिविधियों (फोरप्ले) में कम समय लगाना। शरीर के संकेतों को समझना आप और आपके साथी के लिए फायदेमंद होगा और एक दूसरे के लिए आनंद अधिक बढ़ जाएगा।

सेक्सुअल उत्तेजना के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया

सेक्सुअल उत्तेजना के प्रति आपके शरीर की चार प्रतिक्रियाएं होती हैं
  • रोमांच
  • उभार
  • चरम सीमा
  • समर्पण

पुरूषों और महिलाओं में सेक्सुअल उत्तेजना

पुरूष और महिला, दोनों ही बदलावों के इस क्रम को अपने शरीर में महसूस करते हैं लेकिन इन बदलावों का समयकाल और आवृत्ति उनमें भिन्न हो सकती हैं। औसतन, पुरूष इन चरणों को तेजी से पार करता है जबकि महिलाओं को चरम सीमा तक पहुंचने में वक्त लगता है। चरमसीमा के बारे में कहा जा सकता है कि ऐसा शायद ही कभी होता है कि दोनों साथी चरमसीमा का एक साथ अनुभव करें।

रोमांच का चरण: दोनों साथियों में सामान्य  बदलाव, जो कुछ मिनटों के लिए होते हैं लेकिन जिनको घंटों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • मांसपेशियों के तनाव का बढ़ा स्तर।
  • नब्ज तेज होना और रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ना।
  • त्वचा पर आवेग उभरना, जिसके साथ सीने और पीठ के हिस्से पर लाल निशान बन सकते हैं।
  • निपल्लस आवेशित होना, जो कठोर हो सकते हैं या उठ सकते हैं।
  • प्रजनन अंगों की ओर खून का दौडाव तेज होना, जिससे महिलाओं में क्लिटोरिस और लेबिया और पुरूषों में लिंग कठोर हो जाता है।
  • योनि में चिकनाई आने लगती है, सूजन सी आ जाती है और इसके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं।
  • महिलाओं में वक्ष (ब्रेस्ट) बढ़ जाते हैं।
  • पुरूषों में अंडकोषों (स्क्रोटम) और वृषण (टेस्टसा) में बदलाव आते हैं, टेस्ट्सा सूज जाते हैं, स्क्रोटटम बढ़ जाता है और चिकना तरल रिसने लगता है।
अधिकांश पुरूषों में यह गलत धारणा है कि योनि का चिकना हो उठना इसका संकेत है कि महिला लिंग प्रवेश करवाने हेतु तैयार है। जबकि योनि का चिकनापन उत्तेजना का आरंभिक स्तर है जिसका अर्थ केवल यह है कि महिला का शरीर सैक्स के लिए खुद को तैयार कर रहा है।

उभार का चरण: इस चरण में शरीर में बदलाव अधिक गहन (तीव्र) हो जाते हैं। यह रोमांच और चरमसीमा के बीच का चरण है और औसत पुरूषों में यह चरण कम अवधि का होता है। यदि पुरूष किसी प्रकार इस चरण की अवधि बढ़ा सकें तो इससे शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारे में मदद मिल सकती है। इस स्टेज पर दोनों साथियों के लिए फोरप्ले करना ज़रूरी है विशेषकर महिला के लिए।
  • सेक्सुअल तनाव तीव्र हो जाता है।
  • योनि में लगातार सूजन आती है और इसका द्वार संकरा होता जाता है। रक्त संचार तेज होने के कारण योनि भित्ति या लेबिया का रंग गुलाबी से बदलकर बैंगनी (पर्पल) हो जाता है।
  • महिला का क्लिटोरिस कठोर और आवेशित हो जाता है।
  • पुरूष में लिंग शीर्ष का आकार बढ़ जाता है और लिंग के शीर्ष पर भी रंग का बदलाव बैंगनी (पर्पल) रंग के रूप में देखा जा सकता है।
  • टेस्ट्सा और स्क्रोटम, शरीर के निकट आ जाते हैं।
  • नब्ज, सांस और ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ते हैं।
  • कुछ लोगों को 'सेक्स-फ्लश' का अनुभव होता है जिसका अर्थ यह है कि रक्त संचार तेज होने के कारण शरीर के विभिन्नो हिस्सों पर लाली छा जाती है या वे अधिक मांसल हो उठते हैं।
  • पुरूष के लिंग से स्खलन-पूर्व तरल रिसना शुरू हो जाता है।

चरमसीमा का चरण: यह चरण, शरीर के सेक्सुअल उत्तेजना और प्रतिक्रिया का चरम होता है। चरमसीमा या क्लाइमेक्स  काफी कम अवधि का होता है जो केवल कुछ सेकडों में खत्म हो जाता है। पिछले सभी चरणों के दौरान बना सारा सैक्सुअल तनाव दूर होने लगता है।

सेक्सुअल मुद्दे


उम्र बढने के साथ पुरूषों में सैक्स से संबंधित कई तरह की समस्याएं उतपन्न होने लगती है। हालांकि पुरूषों में सैक्स क्षमता में कमी उसके बढती हुई आयु के कारण  होने वाली शारीरिक समस्याओं से होता है लेकिन अधितकर मामलों में यह पुरूषों के शरीर में टैस्टोरेटोन के स्तर कम होने से होता है।

उम्र बढने के साथ पुरूषों में निम्नलिखित सैक्स समस्याएं होने की संभावना रहती है;
  • सैक्स के प्रति रूची में कमीः पुरूषों में सैक्स करने की इच्छा कम जाती है और उसे उत्तेजित होने में कठिनाई होने लगती है।
  • नपुंसकता की समस्याः  इसमें पुरूष में नपुंसकता के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते है।
  • विर्य स्खलन में देरीः  विर्य स्खलन होने में देर लगता है और व्यक्ति खुद को कम उत्तेजित महसूस करता है।
  • उम्र बढने के साथ पुरूषों में मानसिक समस्याएं उतपन्न होने के साथ -साथ  हार्मोंस संतुलन भी बिगड़ने लगता है जिसे पुरूषों की रोजनोवृति के नाम से जाना जाता है।  पुरूषों में रोजनोवृति  होना एक विवादास्पद  विषय है क्योंकि मेडिकल साइंस  का इस विषय पर विभिन्न मत  है।ं लेकिन दूसरे शब्दों में इसे हम पुरूषों में टैस्टोरेटॉन हार्मोंस के उत्पादन में कमी कह सकते है। टेस्टोस्टोरेन पुरूषों के सैक्ससुल स्वास्थ्स में एक निर्णायक  भूमिका निभाता है।  किशोरावस्था में यह हार्मोंन्स अपने चरम सीमा पर होता है लेकिन उम्र बढने के साथ -साथ  शरीर में इस हार्मोंस की भी कमी होने लगती है।  50 की आयु सीमा लांघने के बाद कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के सैक्सुअल प्रतिक्रिया में आए बदलावों को अनुभव कर सकता है। पुरूषों को उत्तेजित होने में काफी समय लगने लगता है और  उसमें देर तक उत्तेजित रहने और वीर्य स्खलन  की समस्याएं भी पैदा हो जाती है। बढती उम्र से जुड़ी हदृय रोगों की समस्याए, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और तनाव आदि की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए खाई जाने वाली दवाएं भी पुरूषों के सैक्सुअल क्षमता और रूची को प्रभावित करता है।

उम्र बढने के कारण सैक्सुअल जीवन में गिरावट करने वाली अन्य बीमारिया
  • हृदय रोग की अवस्थाः अगर आप हृदयघात  की समस्या से पीड़ित रहे हैं तो डॉक्टर आप को कुछ समय के लिए सैक्स संबंध बनाने से बचने की सलाह दे सकता है। वैसे हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति की तरह अपने सैक्स जीवन का आनंद उठा सकता है। अगर आपको सैक्स करने में किसी तरह की कठिनाई का अनुभव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपेक करे।
  • अर्थराईटिस एवं जोड़ो का दर्दः घुटनो और शरीर के अन्य जोड़ो में दर्द होने पर सैक्स करना एक अग्नि परीक्षा के सामान हो जाता है इसलिए ऐसे लोगों को सैक्स करने के लिए वैसे आसनों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें शरीर के जोड़ों पर कम से कम दबाव पड़ता हो। दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर का इस्तेमाल करे और अपने डॉक्टर से मिलकर पेन मैनेजमेंट के तरीके और विधिया सीखकर उसे अपनाने की कोशिश करे। अगर आप पीठ दर्द की समस्या से पीड़ित है तो सैक्स के समय पीठ पर दबाव कम करने के लिए अपने नितंब की नीचे तकिए का प्रयोग करे।
  • तनाव, निराशा और चिंता जैसी मानसिक अवस्था भी सैक्स की क्षमता और रूची में कमी का कारण बनता है।


उपचार 

डायगनोस्टिक जांच के बाद शरीर में टेस्टोटेस्टेरॉन के कम स्तर की पुष्टी होने पर सैक्स क्षमता में वृद्धी करने के लिए टेस्टोस्टेरॉन रिपलेसमेंट थैरेपी  भी अपनाई जा सकती है। पुरूषों में सैक्स क्षमता में कमी, तनाव और चक्कर  व  पुरूष रोजनोवृति  होने जैसे लक्षणंों के प्रकट होने पर टेस्टोस्टेरॉन रिपलेस्मेंट थैरेपी का सहारा लिया जाता है। इसके इलाज में टेस्टासटेरॉन का खुराक पुरूषों में इंजेक्शन या दवा के द्वारा दिया जाता है। इलाज के इस विधि के बहुत सारे साइड एफैक्ट भी होते हैं और इसके स्थाई उपचार के लिए अब तक कोई शोध भी नहीं किया जा सका है।
उम्र बढने के साथ होने वाली ब्हुत सी सैक्स संबंधी समस्या मानसिक या शरीर  के किसी अन्य बीमारियों के कारण होता है। ऐसी अवस्था में मरीज को किसी तरह की दवा देने के अपेक्षा मरीज को किसी प्रोफैशनल काउसेलर से काउंसेलिंग कराया जाना ज्यादा उपयोगी समझा जाता है।

सेक्‍स से संबंधी भ्रम और तथ्‍य



विशेषज्ञों का कहना है कि हकीकत में कोई व्यक्ति सेक्स के बारे में एक अवधि के दौरान सीखता है यानि कि योनी में लिंग का प्रवेश करवाकर वीर्य गिराना हीं सेक्स नहीं है बल्कि सेक्स इससे कहीं ज्यादा है जिसे आदमी वक़्त के साथ सीखता जाता है। सेक्स के बारे में ऐसी कई बातें हो सकती हैं जो एक दो बच्चे को जन्म दे चुके माता पिता को भी मालूम नहीं होगा। इसलिए सिर्फ सम्भोग करना और बच्चे पैदा करना हीं सेक्स नहीं है। सेक्स के बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं जिसके लिए उचित शिक्षा की जरूरत है।  ऐसे कई विषय हैं जिनके बारे में कई लोग अलग अलग धारणा रखते हैं जैसे की लिंग का सामान्य आकर क्या होना चाहिए? सम्भोग कितनी देर तक चलना चाहिए? क्या पुरुष एक से अधिक बार चरमोत्कर्ष तक पहुँच सकते हैं? जी स्पोट जैसी कोई चीज भी होती है क्या? वगैरह -वगैरह? इनकी तरह और भी कई सवाल हैं जिनके बारे में अलग अलग लोगों की अलग राय  हो सकती है। लेकिन हकीकत कुछ और होती है।

लिंग का आकार: उस पर तथ्य 
विशेषज्ञों के अनुसार अधिकांश पुरुष और महिलाएं लिंग के आकर को देखकर यह फैसला करते हैं कि उस आदमी में कितना पुरुषत्व होगा। जबकि हकीकत यह है कि पुरुष की मर्दानगी और उसके लिंग के आकार में कोई सम्बन्ध नहीं है। यह सोचना बिलकुल गलत है कि जिस व्यक्ति का लिंग बड़ा होगा उसमें उतनी हीं ज्यादा मर्दानगी होगी। अध्ययन में पाया गया है कि अधिकांश महिलाओं को अपने साथी के लिंग के आकार से कोई लेना  देना नहीं होता। वे अपने साथी के (लिंग का जो भी आकार होता है) उसी में खुश रहती हैं लेकिन विज्ञापनों में लिंग को बढ़ाने  की जिस तरह की बातें लिखी जाती हैं उसे पढकर महिलाओं में जहाँ उत्सुकता जागती है वहीँ पुरुषों में अपने लिंग के आकार को लेकर कुंठा एवं हीं भावना ग्रसित होती है जिसकी वजह से वे अपने लिंग का आकार बढवाने के लिए ड़ोक्टोर्स के पास पहुँच जाते हैं।

तो फिर लिंग कितना बड़ा होना चाहिए? पुरुष के लिंग का सामान्य आकार क्या होता है?
  • औसतन जब पुरुष का लिंग तना हुआ रहता है यानि कि  पूर्ण उत्तेजना पाने के बाद सम्भोग के लिए (खड़ा) तैयार रहता है उस वक़्त में पाँच या छह इंच लम्बा होता है। 
  • जब पुरुष का लिंग सिकुड़ा हुआ रहता है तब तीन इंच के आस-पास होता है।
एक लड़की/महिला जिसने कभी किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया है उसकी योनी की लम्बाई (गहराई), जब वह उत्तेजित नहीं रहती, तब तकरीबन ३ इंच होती है और जब वह उत्तेजित अवस्था में होती है तब ४ इंच होती है। इसका मतलब है कि  यदि आपके लिंग की लम्बाई ६ या ५ इंच न होकर सिर्फ ४ इंच भी हो तो भी आप अपने साथी को पूर्ण रूप से यौन संतुष्टि  दे सकते हैं। शायद इसीलिए कोई भी महिला अपने साथी के लिंग के आकर को लेकर चिंतित नहीं रहती। लेकिन फिर भी अगर आप अपने साथी को पूर्ण रूप से सेक्सुअल संतुष्टि नहीं दे पा रहे है तो इसके पीछे कुछ और कारण हो सकता है। लिंग के आकर से उसका कोई लेना देना नहीं होना चाहिए।  अब आप सोच रहे होंगे कि  यदि उत्तेजित अवस्था में स्त्री की योनी सिर्फ ४ इंच होती है तो जिन पुरुषों का लिंग ६ इंच या उससे बड़ा होता होगा उनका लिंग महिलाओं की योनी में कैसे समाता होगा! तो आपको यह जानकर हैरानी होगी की कुदरत ने स्त्री की योनी को इस प्रकार बनाया है कि  महिलाएं अपनी योनी में बड़े से बड़े लिंग को भी समा सकती हैं क्योंकि उनकी योनी की बनावट ऐसी होती है की ज्यों ज्यों लिंग भीतर समाता जाता है त्यों त्यों उनकी  योनी लम्बी होती चली  जाती  है। इसलिए आपका लिंग चाहे कितना भी बड़ा हो, चिंता मत कीजिए कि  वह आपके साथी की योनी में कैसे फिट होगा ! हाँ! अगर आपके लिंग की लम्बाई ५ इंच से ज्यादा हो तो झटके से लिंग को योनी में न घुसेड़े! यह राक्छ्सी यौन क्रिया कहलाएगी। एकाएक लिंग को योनी में घुसेड़ने से आपके साथी की योनी उसे समाने के लिए तैयार नहीं हो पाती जिसकी वजह से दर्द इत्यादि हो सकता है। आपको चाहिए कि  आप आराम से अपने लिंग को उसकी योनी में समायें। इस तरह आप दोनों को आनंद आएगा।

वैसे भी यौन संतुष्टि के लिए हर बार सम्भोग करना हीं जरूरी नहीं है। अध्ययन से पता चलता है कि  अधिकांश पुरुष एवं महिलाओं को मौखिक सेक्स में भी सेक्स का भरपूर आनंद आता है इसलिए सिर्फ सम्भोग नहीं बल्कि मौखिक सेक्स भी किया करें।

हालांकि सेक्स विशेषज्ञ अपना विचार प्रकट कर चुके हैं कि यौन संतुष्टि के लिए लिंग का आकार महत्वपूर्ण नहीं है फिर भी अधिकांश पुरुष अपने लिंग के आकार को लेकर हमेशा चिंता में पड़े रहते हैं!

सेक्सुअलिटी का परिचय


अनेक अर्थों के साथ सैक्सुअलिटी एक जटिल शब्द है। यह किसी व्यक्ति की सैक्सुअल रूचियों, पसंदों से सम्बन्धित हो सकता है या 'आत्म' से जुड़ा भी हो सकता है। सैक्सुअल रूचियों के संदर्भ में सैक्सुअलिटी को विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति व्यक्ति की विभिन्नि प्रतिक्रियाओं के रूप में समझा जा सकता है। कोई भी चीज, जो किसी व्यक्ति को सैक्सुअली आकर्षित करती हो, जरूरी नहीं कि उसी तरह वह हर किसी को आकर्षित कर सके। इसका सम्बन्ध अनेक अहसासों और इच्छाओं से है जो व्यक्ति को सेक्सुअली प्रभावित करते हैं।

किसी व्यक्ति का सेक्सुअल झुकाव

सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध किसी व्यक्ति के सेक्सुअल झुकाव से भी हो सकता है; वह व्यक्ति चाहे पुरूष हो या स्त्री, स्ट्रेट, बाई-सैक्सुअल हो या होमोसैक्सुअल  भी हो सकता है। किसी व्यक्ति की सेक्‍सुअलिटी या सेक्सुअल झुकाव, इससे जुड़ी गतिविधियों के सम्बन्ध में रहस्य बना रहता है। 'आत्म ' के सम्बन्ध में सेक्सुअलिटी का अर्थ यह है कि सेक्सुअल प्राणी के रूप में व्यक्ति खुद के बारे में कैसा नज़रिया रखता है। जो लोग सेक्सुअलिटी को अपने शरीर से जोड़कर देखते हैं उनके लिए उनकी शारीरिक छवि (बॉडी इमेज) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सेक्सुअलिटी को समाज द्वारा पूर्वाग्रहों के कारण उपेक्षित किया जा सकता है क्योंकि इसके विभिन्न  पहलू, "असामान्य " और छिपाने लायक समझे जाते हैं। लेकिन सेक्सुअलिटी बिलकुल प्राकृतिक और स्वाभाविक है जिसे कुछ समय के लिए केवल दबाया जा सकता है और बाद में यह फिर हावी हो जाती है।

ब्लाइंड डेट सलाह महिलाओं के लिए


ब्लाइंड डेट में दोनों लोग पहले कभी नहीं मिलते न ही बात करते हैं। ब्लाइंड डेट दोस्तों द्वारा या इंटरनेट के जरिए आयोजित की जाती है। ब्लाइंडडेटिंग पर सलाह लेना आवश्यक होता है। ब्लाइंड डेट और आपकी सुरक्षा दोनों ही मायने रखती है इसीलिए ब्लाइंड डेट पर खासकर महिलाओं को सावधानी और सतर्कता बरतनी चाहिए। आइए जानें ब्लाइंड डेट सलाह महिलाओं के लिए।
  • महिलाएं जब भी ब्लाइंड डेट पर जाएं तो ये मन में तय कर लें कि वहां कुछ भी हो सकता है, इसीलिए सतर्कता बरतें।
  • किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए ब्लांइड डेट पर अपने मित्रों से सलाह लेकर जाएं कि क्या करें कैसे करें।
  • ब्ला‍इंड डेट पर जाने से पहले किसी विश्वसनीय व्यक्ति को बताकर जाएं और लगातर उसके संपर्क में रहे।
  • सावधानी और सतर्कता बरतते हुए पुरूष व्यक्ति से हाथ दिए हुए ड्रिंक को न पीएं संभव हो तो एल्कोहल न लें।
  • किसी प्राइवेट प्लेस पर न मिलें बल्कि सार्वजनिक जगह पर ही मिलने जाएं।
  • बहुत देर रात तक ब्ला‍इंड डेट पर बाहर न रहें।
  • बहुत अधिक खुलापन न दिखाएं और अपने बारे में एकदम से सबकुछ न बता दें। कुछ गोपनीयता बरकरार रखें।
  • हर चीज में हां में हां न मिलाएं और व्यक्ति को जानने-समझने की अधिक कोशिश करें।
  • सामने वाले व्यक्ति को अहसास न होने दें कि आप उसके सामने नर्वस है या फिर शंकित है।
  • कई बार डेटिंग मौज-मस्ती या टाइम पास के लिए भी की जाती है। डेटिंग पर जाने से पहले अपने साफ बातें कर लें जिससे बाद में आपको किसी तरह का कोई कष्ट न हो।
  • कई बार आपकी बॉडी लैंग्वेज ही आपकी मन की बातों को बयान कर देती है,ऐसे में आपको सहज रहना बहुत जरूरी है। बहुत उत्साहित ना हो।
  • आपकी बॉडी लैंग्वेज प्रवोक करने वाली न हो।
  • ब्लाइंड डेट को लेकर अत्यधिक तनाव महसूस होता है क्योंकि आपको पता नहीं होता कि आपसे क्या अपेक्षा की जाएगी? यह किसी अजनबी से मिलने जैसा है।

    ब्लाइंड डेट के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को अधिक से अधिक जानने-समझने का मौका मिलता है। कभी –कभी यह डेट अच्छी दोस्ती या अच्छे रिश्ते में भी बदल जाती है।

ब्लाइंड डेट कौन होता है?


ब्लाइंड डेट कौन होता है?



युवावस्था में युवा अपने जीवन में एक्साइटमेंट बनाए रखने के लिए वह हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते हैं, और इसी एक्साइटमेंट की देन है ब्लाइंड डेट। ब्लाइंड डेट एक ऐसी डेट होती है जिसमें ऐसे लड़का और लड़की मिलते हैं जो एक-दूसरे के बारें में पहलें से कुछ भी नही जानतें और न ही कभी एक-दूसरे को देखा होता है। अपने जीवन की नीरसता को दूर करने के लिए वह ब्लाइंड डेट जैसी मुलाकतें करते है। जिस व्यक्ति से आप कभी नहीं मिले और उसे जब आप पहली बार मिलें तो वह आपकी ब्लाइंड डेट हो जाएगी। ब्लाइंड डेट कौन होता है आइए हम आपको बताते है।

कौन होता है ब्लाइंड डेट
  • ब्लाइंड डेट वह होता है जिस भी किसी के साथ आप डेट पर जा रहे हैं वह आपको और आप उसे बिल्कुल भी नही जानते हों।
  • आज का समय इंटरनेट का है। अगर आप ऐसे किसी दोस्त के साथ डेट पर जाते हैं जिसको आप इंटरनेट के जरिये जानते है तो वह आपका ब्लाइंड डेट होता है।
  • आप जिस व्यक्ति से मिलने वाले हैं उसे आप नहीं जानते बल्कि आपके किसी दोस्त के कहने पर आप उनसे मिलने जा रहे हैं मतलब अगर आपके किसी दोस्त ने आपके लिए कोई डेट सेट की है तो वह भी आपकी ब्लाइंड डेट होती हैं।
  • इंटरनेट पर कई ऐसी साइटें होती हैं जो आपको ब्लाइंड डेट का अश्वासन कराती हैं। अगर आप इन डेटिंग साइटों के द्धारा से किसी से पहली बार मिलने जाते हैं तो यह निश्चित तौर पर आपकी ब्लाइंड डेट है।
  • मैरिज के लिए आपके माता-पिता ने आपके लिए कोई चुना है और वह चाहते है कि आप उस व्यक्ति से मिले तो आपकी इस पहली मीटिंग को भी ब्लाइंड डेट ही कहेंगे।

इस प्रकार से हम कह सकते है कि ब्लाइंड डेट एक ऐसी डेट है जिसमें दूसरे व्यक्ति से मिलने के लिए आप बहुत उत्साहित हों और आपको यह उम्मीद हो कि आपके जीवन में कुछ रोमांटिक बदलाव आने वाला है।