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Sunday, August 19, 2012

स्वस्थ दांतों के लिए

संपूर्ण स्वा‍स्थ्य के लिए आवश्यक हैं ‘स्वस्थ दांत’। दांत ना सिर्फ हमारे स्वा‍स्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे लुक को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए दांतों की समस्याओं को नज़रअंदाज़ ना करें। निश्चित समयांतराल पर (डेंटिस्ट)दंत चिकित्सक से मिलें।

दांतों की स्वच्छता का मतलब और तरीका हर किसी के लिए अलग होता है। हममें से अधिकतर लोग ब्रशिंग की कला बचपन में ही सीखते हैं और हैरानी की बात है कि ज्यादातर लोग ठीक प्रकार से ब्रश नहीं करते। चिकित्सकों की राय है कि प्रतिदिन ब्रश करने के बाद जीभ ज़रूर साफ करें।

गाजि़याबाद के संतोष डेंटल कालेज की प्रोफेसर डाक्टर बिनीता का कहना है कि दिन में कम से कम दो बार ब्रश करना चाहिए और ब्रश करने के बाद नमक पानी से कुल्ला करना चाहिए या माउथवाश करना चाहिए।

आसान उपचार अर्थराइटिस के

सौंठ, शलक्की, गगलू और गुडूची से अर्थराइटिस की चिकित्सा कैसे करें।

सौंठ, शलक्की, गगलू और गुडूची का मिश्रण तैयार करें। यह भी अर्थराइटिस की चिकित्सा का एक अच्छा समाधान है।

डायबिटीज़ के आसान उपचार

प्याज़ खायें और डायबिटीज़ भगायें।

प्याज़ का उपभोग करना डायबिटीज़ के मरीज़ के लिए अच्छा है।

खाने में अदरक की मात्रा बढ़ा कर भी डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सकता है।

डायबिटीज़ के लिए एक प्राकृतिक हर्बल उपचार है लहसुन। इससे शरीर में मौजूद कालेस्ट्राल का विघटन होता है।

अस्थमा चिकित्सा घरेलू उपचार से

अस्थमा की चिकित्सा के लिए नीबू।

प्रतिदिन नीबू पानी पीयें।

अदरक से अस्थमा की चिकित्सा।

एक छोटे चम्मच से ताज़ा अदरक का जूस लें और इसे सुखा लें और स्वाद के लिए इसे मेथी के काढ़े और शहद के साथ लें। इस मिश्रण को एक बार सुबह और एक बार शाम को लें।

एलर्जी से बचने के कुछ घरेलू नुस्खे

मौसम के साथ ही एलर्जी होना भी आम है, एलर्जी से बचने के कुछ घरेलू नुस्खे जानें:

विटामिन सी से एलर्जी का इलाज।

जितना हो सके विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करें।

सीरके से एलर्जी का इलाज।

एक गिलास पानी में थोड़ा सीरका मिलाकर इसे पीयें।

सूखी खाँसी में घरेलू नुस्खे

ठंड के कहर ने जहां लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल बना दिया है वहीं सर्दी जुकाम-खांसी जैसी बीमारियां भी बढ़ गयी है। ऐसे में आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स का मज़ा आपके लिए सज़ा बन सकता है। वैसे तो सूखी खांसी किसी भी मौसम में हो सकती है, लेकिन ठंड में इसके होने की संभावना अधिक रहती है।

कई बार सूखी खांसी ठीक होने में हफ्तों लग जाते हैं। दवाओं का प्रभाव भी अलग-अलग लोगों पर अलग तरीके से होता है। खांसी होने पर आप कुछ सामान्य घरेलू नुस्खे भी अपना सकते हैं:

खांसी होने पर लौंग चबाने से भी राहत मिलती है। खांसी के दौरे पड़ने पर 2 से 3 लौंग को थोड़े से तेल में भुनकर चबायें।

क्षय रोग से बचाव के घरेलू

क्षय रोग से बचने के लिए हालांकि सुरक्षा और सावधानी ही सबसे अच्छा उपाय है, लेकिन इससे बचाव के लिए कुछ घरेलू नुस्खें भी अपनाये जा सकते हैं। क्षय रोग से बचाव के ऐसे ही कुछ नुस्खे हैं।

सिरके से क्षय रोग का इलाज ।

दो छोटे चम्मच से सिरका लें और इसे शहद और 120 मिलीलीटर गाज़र के जूस में मिला लें, यह दवाई की तरह काम करेगा।

लहसुन के नियमित सेवन के लाभ।

लहसुन को एंटीबायोटिक माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इसके सेवन से टीबी के कीटाणु नष्टट हो जाते हैं।

मार्निंग सिकनेस के इलाज के घरेलू नुस्खे



  • अदरक की चाय से मार्निंग सिकनेस का इलाज। – प्रतिदिन सुबह अदरक की चाय लेने से मार्निग सिकनेस ठीक होती है।
  • एपल सिडर विनेगर से मार्निंग सिकनेस का इलाज। – एपल सिडर विनेगर को शहद के साथ लेने पर मार्निंग सिकनेस का इलाज आसानी से हो सकता है।
  • मार्निंग सिकनेस के इलाज के लिए नीबू का जूस। – पानी ,नीबू के रस और पुदीने का मिश्रण लेने से मार्निंग सिकनेस का इलाज मुमकिन है।

अगर एक ही आफिस में हों कपल

अगर आप और आपका पार्टनर दोनों एक ही ऑफिस में काम करते है, तो ऐसे में आपको एक दूसरे के साथ ऑफिस में बहुत संभल कर व्‍यवहार करना पड़ता हैं। ऐसे में ये समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि उसके साथ ऑफिस में कैसा व्यवहारकिया जाए। ऑफिस में ऐसा व्‍यवहार करें जिससे आप और आपके साथी को लोगों के सामने शर्मिदा न होना पड़े। 

आइए जानते हैं, आफिस के रोमांस टिप्स—

•    अगर आप और आपका पार्टनर एक ही ऑफिस में है या ऑफिस में आपको किसी से प्यार हो गया है तो ऎसे में जरूरी है कि आप इस बात का ध्यान रखें कि आपके रिशते की बात किसी तीसरे को पता न चलें।

•    अगर आप चाहते हैं कि आपके संबंधों के बारे में कोई बाते न बनाए, तो ऎसे में आप बहुत संभलकर लोगों से गपशप करें।


•    ऑफिस में आप आपने काम में व्‍यस्‍त होते है ऐसे में एक-दूसरे को टाइम देना काफी मुशकिल होता है। और यह जरूरी भी नहीं कि आप हर समय अपने साथी के पास ही बैठे रहें। बल्कि अन्य साथियों को भी समय दें और अपने काम पर भी उतना ही ध्‍यान दें।

•    आप दोनों ऑफिस में एक साथ रहने के बजाए ग्रुप में रहें और सबके साथ अच्‍छे से व्‍यवहार करें।


•    ऑफिस में सबके सामने कोई ऎसी बात करने से बचें जिससे आप या आपका पार्टनर बाद में मजाक का पात्र बन जाए, और लोग आपस में आपका मजाक बनाए।

•    आप ऑफिस में अपनी प्यार भरी बातों को शेयर के लिए किसी तीसरे को मिडिएटर न बनाएं, अपने पार्टनर से सीधे बात करें, किसी तीसरे व्यक्ति से अपनी बातें शेयर न करें।


•    ऑफिस के दौरान कोई एक समय और जगह निश्चित कर लें जहां आप दोनों रोजाना मिल पाएं और इससे दूसरों को भी कोई परेशानी न हो। जैसे ऑफिस के बाद का समय, सुबह का समय या ऑफिस से थोड़ी दूरी पर कोई जगह।

•    ऑफिस में दोनों एक-दूसरे के सम्मान का ख्याल रखें। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके अपने साथी से ऑफिस में कैसे संबंध हैं और आपके साथी का पद क्या है। यानी निजी और रोमांटिक बातचीत के लिए ऑफिस के फोन का प्रयोग न करें और न ही ऑफिस में चैट करें।


•    ऑफिस के दौरान अपने पार्टनर के साथ किसी भी तरह का शारीरिक इन्वॉल्वमेंट न रखें। इससे ऑफिस में आपकी और आपके पार्टनर की छवि और लोगों के सामने खराब होगी।

•    अपनी और अपने पार्टनर की निजी बातें ऑफिस के किसी तीसरे व्यक्ति से शेयर न करें, ऐसा करने से आप बेवजह चर्चा का विषय बन सकते हैं, और आपकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।

सेक्सुअल रिस्पांस साइकिल


सेक्सुअल प्रतिक्रिया चक्र में शरीर में होने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों की पूरी श्रृंखला शामिल है। ये बदलाव तब होते हैं जब कोई व्यक्ति संभोग और हस्तमैथुन के जरिए सेक्सुअली उत्तेजित होता है।

सेक्सुअल प्रतिक्रिया चक्र के प्रति जागरूकता

उत्तेजना के विभिन्न चरणों में शरीर किस तरह प्रतिक्रिया करता है इसके प्रति जागरूक रहने से आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि आपके साथी की चाहत क्या है, जिसे पहचानकर अनुभव को अधिक गहरा और आपसी सम्बन्ध को अधिक मज़बूत बनाया जा सकता है। इससे आपको कुछ सेक्सुअल समस्याएं सुलझाने में भी मदद  मिल सकती है जैसे उत्ते़जना के शुरूआती दौर में ही संभोग की शुरूआत और संभोगपूर्व गतिविधियों (फोरप्ले) में कम समय लगाना। शरीर के संकेतों को समझना आप और आपके साथी के लिए फायदेमंद होगा और एक दूसरे के लिए आनंद अधिक बढ़ जाएगा।

सेक्सुअल उत्तेजना के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया

सेक्सुअल उत्तेजना के प्रति आपके शरीर की चार प्रतिक्रियाएं होती हैं
  • रोमांच
  • उभार
  • चरम सीमा
  • समर्पण

पुरूषों और महिलाओं में सेक्सुअल उत्तेजना

पुरूष और महिला, दोनों ही बदलावों के इस क्रम को अपने शरीर में महसूस करते हैं लेकिन इन बदलावों का समयकाल और आवृत्ति उनमें भिन्न हो सकती हैं। औसतन, पुरूष इन चरणों को तेजी से पार करता है जबकि महिलाओं को चरम सीमा तक पहुंचने में वक्त लगता है। चरमसीमा के बारे में कहा जा सकता है कि ऐसा शायद ही कभी होता है कि दोनों साथी चरमसीमा का एक साथ अनुभव करें।

रोमांच का चरण: दोनों साथियों में सामान्य  बदलाव, जो कुछ मिनटों के लिए होते हैं लेकिन जिनको घंटों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • मांसपेशियों के तनाव का बढ़ा स्तर।
  • नब्ज तेज होना और रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ना।
  • त्वचा पर आवेग उभरना, जिसके साथ सीने और पीठ के हिस्से पर लाल निशान बन सकते हैं।
  • निपल्लस आवेशित होना, जो कठोर हो सकते हैं या उठ सकते हैं।
  • प्रजनन अंगों की ओर खून का दौडाव तेज होना, जिससे महिलाओं में क्लिटोरिस और लेबिया और पुरूषों में लिंग कठोर हो जाता है।
  • योनि में चिकनाई आने लगती है, सूजन सी आ जाती है और इसके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं।
  • महिलाओं में वक्ष (ब्रेस्ट) बढ़ जाते हैं।
  • पुरूषों में अंडकोषों (स्क्रोटम) और वृषण (टेस्टसा) में बदलाव आते हैं, टेस्ट्सा सूज जाते हैं, स्क्रोटटम बढ़ जाता है और चिकना तरल रिसने लगता है।
अधिकांश पुरूषों में यह गलत धारणा है कि योनि का चिकना हो उठना इसका संकेत है कि महिला लिंग प्रवेश करवाने हेतु तैयार है। जबकि योनि का चिकनापन उत्तेजना का आरंभिक स्तर है जिसका अर्थ केवल यह है कि महिला का शरीर सैक्स के लिए खुद को तैयार कर रहा है।

उभार का चरण: इस चरण में शरीर में बदलाव अधिक गहन (तीव्र) हो जाते हैं। यह रोमांच और चरमसीमा के बीच का चरण है और औसत पुरूषों में यह चरण कम अवधि का होता है। यदि पुरूष किसी प्रकार इस चरण की अवधि बढ़ा सकें तो इससे शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारे में मदद मिल सकती है। इस स्टेज पर दोनों साथियों के लिए फोरप्ले करना ज़रूरी है विशेषकर महिला के लिए।
  • सेक्सुअल तनाव तीव्र हो जाता है।
  • योनि में लगातार सूजन आती है और इसका द्वार संकरा होता जाता है। रक्त संचार तेज होने के कारण योनि भित्ति या लेबिया का रंग गुलाबी से बदलकर बैंगनी (पर्पल) हो जाता है।
  • महिला का क्लिटोरिस कठोर और आवेशित हो जाता है।
  • पुरूष में लिंग शीर्ष का आकार बढ़ जाता है और लिंग के शीर्ष पर भी रंग का बदलाव बैंगनी (पर्पल) रंग के रूप में देखा जा सकता है।
  • टेस्ट्सा और स्क्रोटम, शरीर के निकट आ जाते हैं।
  • नब्ज, सांस और ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ते हैं।
  • कुछ लोगों को 'सेक्स-फ्लश' का अनुभव होता है जिसका अर्थ यह है कि रक्त संचार तेज होने के कारण शरीर के विभिन्नो हिस्सों पर लाली छा जाती है या वे अधिक मांसल हो उठते हैं।
  • पुरूष के लिंग से स्खलन-पूर्व तरल रिसना शुरू हो जाता है।

चरमसीमा का चरण: यह चरण, शरीर के सेक्सुअल उत्तेजना और प्रतिक्रिया का चरम होता है। चरमसीमा या क्लाइमेक्स  काफी कम अवधि का होता है जो केवल कुछ सेकडों में खत्म हो जाता है। पिछले सभी चरणों के दौरान बना सारा सैक्सुअल तनाव दूर होने लगता है।