जब से यह सृष्टी है रहस्य भी तभी से है. यह रहस्य पीढियों दर पीढी हस्तांतरित होता आ रहा है हम सभी एक रहस्य में हैं और मजेदार बात यह है कि हम इसे पाना भी चाहते हैं और इसे खोलना भी चाहते हैं, छिपाना भी , खरीदना भी ,बेचना भी, समझना भी चाहते हैं और इस से अनजाने भी रहना चाहते हैं .
क्या हम मनचाहे व्यक्ति को पाने कि इच्छा रखते हैं ? क्या हम मनचाही स्त्री को पाने कि चाहत रखते हैं ? कैसे हम मनचाहा प्राप्त कर सकते हैं. ? हाँ आप प्राप्त कर सकते हैं. कैसे? यही वह रहस्य है.जो आपके हाथों में है,आपको रहस्य के अन्दर झांकना है समझना है, दोस्ती करना है... ये सब आपके हाथों में है सिर्फ आपके हाथों में !
क्या है इश्वर ? क्या है तनाव? क्या हैं रिश्ते? क्या है दोस्ती? क्या है सेक्स? क्या है आध्यात्म?क्या है सही ? क्या है गलत ?क्या है प्रकृति ? और क्या हैं हम ? क्या हमारा प्रारंभ है , क्या हमारा अंत है ?...??
Tuesday, October 20, 2009
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