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Tuesday, October 20, 2009

आपके अपने हाथों में एक रहस्य है ..

जब से यह सृष्टी है रहस्य भी तभी से है. यह रहस्य पीढियों दर पीढी हस्तांतरित होता आ रहा है हम सभी एक रहस्य में हैं और मजेदार बात यह है कि हम इसे पाना भी चाहते हैं और इसे खोलना भी चाहते हैं, छिपाना भी , खरीदना भी ,बेचना भी, समझना भी चाहते हैं और इस से अनजाने भी रहना चाहते हैं .
क्या हम मनचाहे व्यक्ति को पाने कि इच्छा रखते हैं ? क्या हम मनचाही स्त्री को पाने कि चाहत रखते हैं ? कैसे हम मनचाहा प्राप्त कर सकते हैं. ? हाँ आप प्राप्त कर सकते हैं. कैसे? यही वह रहस्य है.जो आपके हाथों में है,आपको रहस्य के अन्दर झांकना है समझना है, दोस्ती करना है... ये सब आपके हाथों में है सिर्फ आपके हाथों में !

Monday, October 19, 2009

सर्व प्रथम मैं आयुर्वेद के जनक भगवन धन्वन्तरी की स्तुति करता हूँ तपश्चात अपने गुरु भगवान् श्री कृष्ण को नमन करता हूँ जो कि इस संसार के सबसे बड़े मनोचिक्त्सक हैं .